जब ज़नाजा शहीदों का उठा होगा हर मां का दिल का रोया होगा जब ज़नाजे को कांपते हाथों से सहारा दिया होगा पिता के आंखों से आंसू बेसहारा हो गया होगा जब ज़नाजा दो कदम भी नहीं चला होगा बहन की पुकारों से कलेजा बाहर आया होगा जब ज़नाजा को कंधे से लगाया होगा भाई अपने ही आंसूओं में नहाया होगा जब ज़नाजा धीरे-धीरे आगे बढ़ा होगा पत्नी की धड़कनों ने धड़कना छोड़ा होगा जब ज़नाजा आंखों से न दिखाई दिया होगा बेटी की आंखों के सामने अंधेरा छाया होगा जब ज़नाजा कंधे से शमशान में उतारा होगा बेटों ने पापा-पापा आवाज लगाया होगा जब पूरे देश ने कहा होगा, भारत मां के लाल तूझे सलाम तब उसकी भी आंखों में पानी आया होगा.
दुनिया-जहान की बात!