आखिरकार एक बार फिर हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर लिखने को मजबूर हुआ लेकिन सबसे पहले इन बातों का ध्यान रखते हैं। पाकिस्तान में हिंदुओं को परवेज मुशर्रफ की पार्टी द्वारा कार्यक्रम कराकर मुसलमान बनाना , पाकिस्तानी पीएम का अमेरिका में नंगा होना , बंगाल और बिहार में दंगा होना , बेटे की हत्या के बाद इमाम का बयान- बदला नहीं चाहिए। पहले पाकिस्तानी हिन्दुओं का मुस्लिम बनना और भारत के दंगे। मैं इसे मुस्लिम-हिन्दू की लड़ाई के तौर अब नहीं देखता। मुझे इसमें बहुसंख्यक समाज और अल्पसंख्यक समाज (तुष्टिकरण वाला अल्पसंख्यक नहीं संख्या वाला) की लड़ाई दिखती है। जिस देश , जिस राज्य , जिस जिले , जिस गांव में जिसकी संख्या ज्यादा होती है , उसका वर्चस्व ज्यादा होता है चाहे इसे अमीर गरीब में देखे , शाहंशाह और फ़क़ीर के रूप में देखे , जाती और धर्म में भी देखे , बहुत बड़ी खाई दिखेगी. ये लड़ाई भी इसी का नतीजा है। कम संख्या वालों पर ही शक्ति दिखाई जाती है। मान लेते हैं पाकिस्तान में 60 प्रतिशत हिन्दू होते तो क्या इस तरह जबरन उन्हें मुसलमान बनाया जाता ? अब ये भी मन लेते हैं कि बिहार के समस्तीपुर में 60 प्रतिशत...
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