गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है कभी भूखा सुलाया है कभी सूखी रोटी खिलाया है कभी खुली आसमाँ से मिलाया है कभी बादलों को दिखाया है गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलया है कभी सर्दी में ठिठुराया है कभी गर्मी में जलाया है कभी बारिश में नहाया है कभी पानी को तरसाया है गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है कभी 100 का नोट थमाया है कभी पॉकेट खाली ही आया है कभी सपनों को आंखों में चमकाया है कभी आंखों को बंद भी कराया है गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है कभी परदेशी भी बनाया है कभी घर को वापस बुलाया है अभी भी इंसाफ बकाया है तभी तो खास की रोटी चबाया है इसलिए ही तो कहता हूँ गरीबी ने मुझे बहुत रूलाया है.
दुनिया-जहान की बात!