Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2016

गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है

गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है कभी भूखा सुलाया है कभी सूखी रोटी खिलाया है कभी खुली आसमाँ से मिलाया है   कभी बादलों को दिखाया है गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलया है कभी सर्दी में ठिठुराया है कभी गर्मी में जलाया है कभी बारिश में नहाया है कभी पानी को तरसाया है गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है कभी 100 का नोट थमाया है कभी पॉकेट खाली ही आया है कभी सपनों को आंखों में चमकाया है कभी आंखों को बंद भी कराया है गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है कभी परदेशी भी बनाया है कभी घर को वापस बुलाया है अभी भी इंसाफ बकाया है तभी तो खास की रोटी चबाया है इसलिए ही तो कहता हूँ गरीबी ने मुझे बहुत रूलाया है.