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गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है



गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है
कभी भूखा सुलाया है
कभी सूखी रोटी खिलाया है
कभी खुली आसमाँ से मिलाया है 
कभी बादलों को दिखाया है
गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलया है
कभी सर्दी में ठिठुराया है
कभी गर्मी में जलाया है
कभी बारिश में नहाया है
कभी पानी को तरसाया है
गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है
कभी 100 का नोट थमाया है
कभी पॉकेट खाली ही आया है
कभी सपनों को आंखों में चमकाया है
कभी आंखों को बंद भी कराया है
गरीबी ने मुझे गरीबी का एहसास दिलाया है
कभी परदेशी भी बनाया है
कभी घर को वापस बुलाया है
अभी भी इंसाफ बकाया है
तभी तो खास की रोटी चबाया है
इसलिए ही तो कहता हूँ
गरीबी ने मुझे बहुत रूलाया है.

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