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दुनिया के कुछ ही देशों तक क्यों सीमित है क्रिकेट?




क्रिकेट को भले भारत में एक धर्म की तरह देखा जाता हो लेकिन इसकी पहुंच विश्व स्तर पर बहुत कम हैक्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को देखें तोफूटबॉल और हॉकी की एक वैश्विक पहचान है।
इसके बहुत से कारण हैं,  अगर नंबर एक पर ध्यान दें तो इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से निकला क्रिकेट इन देशों के अलावा एशिया के देशों और वेस्टइंडीज तक ही पहुंच पाई। हालांकि आने वाले दिनों में कई जगह आईसीसी प्रतियोगिताएं आयोजित कर रही हैं जिससे आने वाले दिनों में कई और टीमें हमें देखने को मिलेगी लेकिन फिलहाल की स्थिति को देखते हुए लगता है कि इसमं अभी थोड़ा वक्त लगेगा।
ऐसा नहीं है कि अन्य देशों ने हाथ नहीं आजमाए हैंबहुत से देशों ने इस क्षेत्र में कोशिश की अपने पैर जमाने की। जिसमेंहॉलैंडआयरलैंडनामबियाकेन्यायूएईअमेरिकाओमाननेपाल ने भी हाल में ही एंट्री ली है। इन टीमों में सिर्फ एक जेनरेशन ने क्रिकेट खेलाउसके बाद बहुत कम दिलचस्पी दिखी या फिर खिलाड़ी नहीं मिले जिससे टीम बन सके।
उसके पीछे भी कई कारण है इन देशों के खिलाड़ी अपने करियर को क्रिकेट में कहीं नहीं पातेकहीं न कहीं उन्हें पता है कि उनके देश में क्रिकेट की क्या स्थिति है जिस कारण वो बिल्कुल भी अपने करियर को जोखिम में नहीं डालना चाहते हैं। इन छोटी टीमों पर नजर डाले तो एक बात साफ पता चलता है इन देशों में ज्यादातर खिलाड़ी भारतपाकिस्तान या किसी दूसरे देश के मुल निवासी होते हैं.
यहां पर एक बेहद जरूरी बात ये भी है कि कब तक केोई टीम किसी दूसरे देश से आए और उस देश की नागरिकता के बाद क्रिकेट खेलेवह टीम कहां तक जाएगी। जब तक उस देश से युवा खिलाड़ी आगे नहीं आएंगे तब तक इससे एक टीम नहीं बन पाएगी और नहीं उसकी कोई पहचान होगीऐसे में वहां के लोगों में भी अपनी टीम को लेकर कोई खास उत्साह देखने को नहीं मिलता। जिसका नजारा स्टेडियम में देखने से साफ पता चलता है।
इसमें आईसीसी एक बेहम अहम रोल निभा सकता है कि ऐसी टीमों को ज्यादा से ज्यादा मौके दें और बड़ी टीमों के साथ मैच कराए। ताकि आने वाले दिनों में बाकि खेलों की तरह क्रिकेट में भी जमकर प्रतियोगिता देखी जाए। नहीं तो कहीं ऐसा न हो जाए कि आने वाले दिनों में क्रिकेट सिर्फ 4 से 5 टीमों के बीच सिमट कर रह जाए।
इसके बढ़ने के बहुत से कारण है आप खुद देखिए कि बंग्लादेश और अफगानिस्तान ने अपने आप को किस तरह स्थापित किया हैअफगानिस्तान ने तो बेहद ही मुश्किल हालातों में इस काम को अंजाम दिया है। हाल ही में उसे टेस्ट टीम का भी दर्जा मिला और पहला मैच भारत के साथ उन्होंने खेला हालांकि उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है लेकिन एक नई टीम के लिए शुरुआत अच्छी कही जा सकती है।

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