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Showing posts from July, 2018

भीड़तंत्र का हिस्सा क्यों बनते जा रहे हैं लोग?

पिछले कुछ सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है जिसपर जमकर राजनीति के साथ हंगामा भी हुआ है। इन मामलों में से बहुत कम में ऐसा हुआ है कि कड़ी सजा मिली हो। कड़ी सजा तो छोड़िए नेता उनको सम्मानित करने लगे हैं। इसको भी छेड़ दिया जाए तो भी अब टिकट मिलने लगी है। मॉब लिंचिंग के जितने भी मामले आए हैं, उनमें कुछ राजनीतिक विरोध , धार्मिक नफरत , जाति भेदभाव, चोर या लड़की छेड़खानी के मामले हैं।   ये सभी समाज के लिए खतरनाक है। राजनीतिक विरोध में झड़प होना आम बात हैं लेकिन जिस तरह गुट बनाकर इस किया जाता है वह किसी भी सभ्य समाज को शोभा नहीं देता। लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक है नफरत में की गई लिंचिंग। इस तरह के लिंचिंग को देखें कुछ बेहद ही चौंकाने वाली बात सामने आती है। एक अपने धर्म को ऊपर देखने के कारण , खुद को दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने के लिए और किसी भी बात के लिए किसी दूसरे को जिम्मेदार मानने के कारण इन घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। ऐसे मामलों में देखा गया है कि समाज अचानक से एकजुट हो जाता है। क्योंकि अगर किसी का जाती मामला हो तो लोग कम एक्टिव होते है पर वही अगर धर्...