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Showing posts from June, 2020

दिलों में तूफ़ान सा है

दिलों में तूफ़ान सा है ये दौर इम्तिहान सा है रात-दिन बेकरार सा है चाँद-सूरज अंधकार सा है मन उचाट सा है दुखों का अंबार सा है ज़िन्दगी अजाब सा है जीना इंतेक़ाम सा है मंज़िल का इंतज़ार सा है रास्ते में अनगिनत पहाड़ सा है ख़ुद पर ऐतबार सा है उम्मीद बरसात सा है सपने बेहिसाब सा है अभी पाना ख़्वाब सा है दिलों में तूफ़ान सा है

सुशांत सिंह राजपुत और राहुल गांधी

राजनीति और बॉलीवुड को मिक्स करना सही तो नहीं होगा और नहीं किसी एक्टर की किसी नेता से तुलना करना लेकिन राहुल गांधी को देखकर कई बार हिम्मत बनती है. मैं ख़ुद को उनके सामने रख कर देखता हूं तो टूट जाता हूं. इसके पीछे कई कारण है. सुशांत सिंह राजपुत की आत्महत्या के पीछे की कुछ भी सही जानकारी अभी हमारे पास नहीं है. लोग असफलता (हालांकि किसी भी दृष्टि से उन्हें असफल नहीं कहा जा सकता फिर भी हो सके उन्हें कोई कमी लगी हो), रिलेशनशिप और कई तरह की बातें क र रहे हैं. इस मौके पर मुझे राहुल गांधी की इसलिए याद आई कि इस बंदे की पिछले 7 सालों में ऐसी इमेज़ बनाई गई, एडिट कर-करके इतना बड़ा पप्पू बनाया गया कि हर तरफ लोग उनका नाम सुनते ही हंस देते हैं. हालांकि राजनीति में ये सब होता है लेकिन जिस प्रकार का प्रहार राहुल गांधी पर हुआ ऐसा शायद ही किसी पर हुआ होगा या उसकी इमेज़ ही वैसी रही होगी. ऐसे में किसी भी इंसान के लिए मुश्किल होता है इतना मजाक और ऐसा मजाक कि अगर आप किसी बच्चे या किसी के साथ भी कहीं पर करके देख लें वे आपसे कतराने लगेंगे, छुपने लगेंगे, कैद होने लगेंगे, कॉन्फिडेंस खोने लगेंगे लेकिन राह...