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Showing posts from March, 2020

आज़म ख़ान के जितने बुरे क्यों नहीं फंसते ओवैसी?

                                                 हालिया कुछ सालों में देश में दो ऐसे मुस्लिम नेता रहे हैं जिनकी जमकर चर्चा हुई. एक, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र, यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री, रामपुर के सांसद और सपा के कद्दावर नेता मोहम्मद आज़म ख़ान तो दूसरे हैं लंदन से लॉ की पढ़ाई करने के बाद सिसासत में आने वाले हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी. इन दोनों में एक ख़ास अंतर ये है कि आज़म ख़ान ने जहां विरासत की सियासत पर वार करके अपनी पहचान बनाई तो वहीं ओवैसी ने अपने दादा अब्दुल वाहिद ओवैसी की राजनीतिक पार्टी को आगे बढ़ाकर एक नई ऊंचाई दी. हालांकि अगर दोनों की ख़ास समानता देखें तो आज़म ख़ान और ओवैसी बीजेपी के ख़िलाफ़ काफी मुखर हैं. दोनों विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं. इन दिनों आज़म जहां जेल में बंद हैं तो वहीं ओवैसी अपने चिर-परिचित अंदाज़ में लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं. पिछले कुछ महीनों में आज़म ख़ान ...

दिल्ली दंगा: दर्द, दवा और दाग़

दंगे का 'दर्द' दिल्ली में हुए दंगों में अब तक 53 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं. किसी की दुकान जली तो किसी का मकान और कोई तो स्वयं ही जल गया. एक दंगाई ने दूसरे दंगाई पर गोला चलाई लेकिन मौत ज्यादातर किसी तीसरे की हुई. इस दंगे के बाद बच्चे किताबें ढूंढ़ रहे हैं, दुकानदार बचे सामान, घायल आराम, लापता होने वालों के परिवार उस तक पहुंचने के रास्ते, जो मर गए वो अपनी आत्मा की शांति और उसके परिजन सब्र. अगर कोई कुछ नहीं ढूंढ रहा है तो वो हैं हमारे रहनुमा! क्योंकि सभी जानते हैं कि आज तक इस तरह के जितने भी दंगे हुए हैं क्या कोई अपने दिल पर हाथ रखकर ये बोल सकता है कि पीड़ितों के साथ 100 प्रतिशत इंसाफ हुआ? कोई नहीं बोल सकता. हमारी नेताओं ने शांति की अपील की दी, पुलिस और फोर्स लगा दिया, मुआवज़े का ऐलान भी हो गया और कैंप का निर्माण भी. अब यहां से फिर से ज़िंदगी को नॉर्मल करने की पूरी ज़िम्मेदारी पीड़ितों की. समाज में इतनी नफरत किसने फैलाई, इन दंगों के दोषी कौन हैं, 100 प्रतिशत इंसाफ कैसे हो, इसे आगे कैसे रोका जाये? इसपर कोई चर्चा नहीं होगी. लेकिन अब इस दंगे ने जो दर...