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जब मिली तो हमसफर बन गई




मिली तो हमसफर बन गई
बिछड़ी तो बे असर कर गई
समय बदला तो दगा दे गई 
बात न कर पाया तो बेवफा हो गई
तेरे सवालों से समां बंध गया
मेरे जवाबों से चमन उड़ गया
तुम्हारी बातों से जहां खिल गया
मेरे होंठों से दीया बूझ गया
पर अब हकीकत तो ये समझ गया
मेरे प्यार में तू तड़पती रह गई
तेरे इशक में मैं संभालता रह गया
फर्क बस इतना दिख गया
मेरी यादों से तुझपे शिकायत बरस गई
तेरी मासूमियत से मुझमें मुहब्बत बच गई.

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