मैं जितना समझ पाया हूँ, इस दुनिया में जितने भी धर्म हैं, उसको मानने वालों में सबसे ज्यादा खुलापन और सभी
को अपने साथ लेकर चलने वाले लोग हिन्दू धर्म में हैं।
इस्लाम धर्म को मानने वाले शायद इतना खुलापन और काफिरों का साथ पसंद
नहीं करते, जब तक ये अल्पसंख्यक नहीं होते अगर होते भी
हैं तो दिखावती और बनावटी। उसके बावजूद अपनी करतूतों को बीच-बीच में दिखाते रहते हैं।
कुछ 5 % लोग होंगे जो ऐसे नही होंगे। इसमें एक बात
और जोड़ दूँ, दुनिया में जितने भी मुसलमान हैं उसमें से सबसे खुलेपन में रहने वाला भारत का मुसलमान हैं क्योंकि
हमें एक ऐसा हिन्दू पड़ोसी मिला जिसने हमें मिलकर रहना सिखाया।
मुझे पूरी दुनिया में भारत कोे छोड़कर कोई ऐसा देश नहीं दिखता
जिसने इतनी आसानी से सबको एक माना हो जिस तरह भारत के हिन्दू मानते हैं। पाकिस्तान
के हिन्दुओं और अमेरिका के मुसलमानों का उदाहरण हमारे सामने है।
मन में आता है कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्म ईसाई बहुत खुलापन और सबको साथ लेकर चलने वाला होगा लेकिन वो कैसे हो सकता हैं?
मन में आता है कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्म ईसाई बहुत खुलापन और सबको साथ लेकर चलने वाला होगा लेकिन वो कैसे हो सकता हैं?
उसने तो अपने धर्म को बढ़ाने के लिए मशीनरी चलाई, इस्लामिक मुल्कों से जंग जारी ही रहता है। बाकि
धर्मों के बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता लेकिन एक अंदाज़ा उन्हें देखने से ये पता
चलता है की ओ भी उतने खुले नहीं हैं।
अब मुद्दे की बात, जब मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़की की बात आती है तो ये मुल्ले गला फाड़ कर प्यार और मुहब्बत की बात करेंगे, उनको हिन्दू बहु से कोई दिक्कत नहीं लेकिन जब हिन्दू दामाद की बात आती है तो इनका इस्लाम खतरे में पहुँच जाता है।
दिल्ली में जिस अंकित सक्सेना की गला रेत कर हत्या हुई ओ सिर्फ इसलिए हुआ कि इस देश के 90 % मासूम हिन्दू अपनी आँख बंद कर हमें अपना मानता है। इसलिए ही हम अल्पसंख्यक हो कर भी इतना सीना तान कर कुछ भी कर लेते हैं। 10 परसेंट हिन्दू हैं जो मरीज हैं जिनको इलाज की सख्त जरूरत है लेकिन 95 परसेंट मुसलमानों को अपने दिमाग के इलाज की जरूरत है। नहीं तो इन करतूतों से एक दिन ऐसा आएगा जब सब तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगे और फिर हमारा हाल पाकिस्तान के हिंदुओं जैसा होगा। बर्मा के मुसलमानों जैसा होगा हमारा कल। यार तुम सच्चे मुसलमान हो तो तुम्हे पता होगा की कयामत के दिन कोई किसी का नहीं होगा न बेटा माँ का होगा न बेटी बाप का, सब अकेले होंगे।
अब मुद्दे की बात, जब मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़की की बात आती है तो ये मुल्ले गला फाड़ कर प्यार और मुहब्बत की बात करेंगे, उनको हिन्दू बहु से कोई दिक्कत नहीं लेकिन जब हिन्दू दामाद की बात आती है तो इनका इस्लाम खतरे में पहुँच जाता है।
दिल्ली में जिस अंकित सक्सेना की गला रेत कर हत्या हुई ओ सिर्फ इसलिए हुआ कि इस देश के 90 % मासूम हिन्दू अपनी आँख बंद कर हमें अपना मानता है। इसलिए ही हम अल्पसंख्यक हो कर भी इतना सीना तान कर कुछ भी कर लेते हैं। 10 परसेंट हिन्दू हैं जो मरीज हैं जिनको इलाज की सख्त जरूरत है लेकिन 95 परसेंट मुसलमानों को अपने दिमाग के इलाज की जरूरत है। नहीं तो इन करतूतों से एक दिन ऐसा आएगा जब सब तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगे और फिर हमारा हाल पाकिस्तान के हिंदुओं जैसा होगा। बर्मा के मुसलमानों जैसा होगा हमारा कल। यार तुम सच्चे मुसलमान हो तो तुम्हे पता होगा की कयामत के दिन कोई किसी का नहीं होगा न बेटा माँ का होगा न बेटी बाप का, सब अकेले होंगे।
लेकिन यहाँ तो ये काफिर तुम्हारे साथ हैं हर सुख-दुख में
तुम्हारे साथ होता है, तुम पे हमला होता है तो भी, तुम हमला करते हो तो भी, इनका साथ
मिलता है। लेकिन तुम बदले में अंकित सक्सेना देते हो। ऐसे जाहिलों को डूब मरना चाहिए, इस्लाम तुम जैसे जाहिलों के लिए आया था, तुमने इस्लाम को जाहिल बनाने का काम शुरू कर
दिया।

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