Skip to main content

Posts

Showing posts from August, 2018

देश के हर हिस्से पर अपना हक समझे इस मानसिकता के लोग

स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने को लेकर दो तरह के वीडियो सामने आ रहे हैं। एक, जामा मस्जिद में झंडा फहराने को लेकर बहस हो रही है. दूसर, झंडा फहराने के बाद राष्ट्रगान को लेकर. दूसरे वाले वीडियो में जिसमें एक मौलाना बोलते हुए दिख रहे हैं कि ये नहीं होगा। बुनियादी बात ये है कि पहले वाली परिस्थिति दूसरे की वजह से बनी है। क्योंकि भारत के राष्ट्रगान के गाने को लेकर अगर खुलेआम इस तरह इंकार किया जाएगा तो कहीं न कहीं देश को सभी लोगों को प्रभावित करेगा। इससे लोग उस शख्स के साथ-साथ पूरे समाज पर भी शक करने लगता है। इस तरह की स्थिति क्यों बनती है उसपर बहुत ही गहनता से विचार होना चाहिए। अगर मौलाना का ये तर्क है कि इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं है तो उनको मालूम होना चाहिए कि इस्लाम में मादरे वतन को लेकर क्या कहा गया है? ये बात साफ-साफ है कि अपने वतन की हिफाजत करना उसका फर्ज है। फिर उन्हें ऐसे क्यों लगता है कि इससे धर्म पर आंच आ जाएगी। जिस देश में रहते हैं उसका जयकारा या गुणगान करने में आखिर किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? ऐसा तो नहीं हैं कि वह अपने आप को अभी भी इस देश का दोयम दर्जे का नागरिक ...

ज़ेहन से कैसे निकलेगी अपने शहर (मुजफ्फरपुर) की ये तस्वीर?

मैंने मुजफ्फरपुर शहर में 7 साल , शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर गाँव में 15 साल और दिल्ली में 4 साल की जिन्दगी अभी तक जी है। इतने सालों में मुजफ्फरपुर की घटनाओं पर नजर डाले तो हत्याएं-रेप और बाकी तमाम तरह की घटनाएं होती रही , लेकिन कभी प्रमुख घटना बन कर प्रदेश और देश के सामने नहीं आई। नवरुणा काण्ड , एक सांप्रदायिक झड़प को अगर छोड़ दें तो किसी भी यहां की ख़बर को ज्यादा तवज्जों नहीं मिली। हाँ ये जरूर है कि स्थानीय अख़बारों में कई घटनाओं या ख़बरों को प्रमुखता के साथ छापी गई। लेकिन 1999 से अख़बार और 2000 से टीवी देखना शुरू किया तो 1 महीने पहले तक ये बात मन को कचोटती थी कि मेरा शहर टीवी में क्यों नहीं आता , मुझे अपने शहर को टीवी पर देखना है , पर आता ही नहीं पता नहीं यहाँ ख़बर ही नहीं है या पहुँचती नहीं। हालांकि 2014 में एक दिन माड़ीपुर ब्रिज गिर गई और जब ये पता चला तो दौड़कर टीवी खोलने पहुंचा ताकि आज मुजफ्फरपुर को टीवी पर देख सके। सबसे पहले News 24 लगाया और वहां Exclusive चल रहा था मुज़फ्फरपुर ब्रिज को लेकर। बड़ी दुर्घटना नहीं थी इसलिए 2-3 मिनट में सारा मामला बता कर बात ख़बर खत्म हो गई। बि...

असम NRC मामला: बीजेपी को देना चाहिए इन सवालों का जवाब या करें थोड़ा इंतजार

इन दिनों दिल्ली से लेकर असम तक  राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. दरअसल अ सम में NRC में शामिल होने के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, लिस्ट में लगभग 40.07 लाख लोगों का नाम नहीं आया. जिसके बाद इसे हिन्दू-मुस्लिम और बांग्ला का मुद्दा बनाया जाने लगा, जो ठीक नहीं है क्योंकि जिनके नाम नहीं आए हैं उनमें सभी शामिल हैं. फिर भी अगर इस लिस्ट में जितने लोगों का नाम नहीं आया है और बीजेपी उसे घुसपैठिया बता रही है तो कुछ ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब उन्हें देने चाहिए. 1. जिन बच्चों के नाम आए हैं और उनके माता-पिता का नाम नहीं आया है, वह बच्चा भारतीय हो गया और उसके माता-पिता घुसपैठिए कैसे? 2. एक परिवार में 10 लोग हैं, उनमें से 2 भारतीय मान लिए गए और 8 बांग्लादेशी, किस आधार पर? 3. पति भारतीय लेकिन पत्नी और बच्चे शरणार्थी, ये कैसे हुआ? 4. जिसने असम शासन में 40 साल तक नौकरी की हो वह आज कैसे भगोड़ा हो गया? 5. लिस्ट में भारत के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के लोगों का नाम शामिल नहीं है, क्या वह भारतीय नहीं थे? 6. असम में बिहार-यूपी-बंगाल ...