हालिया कुछ महीनों में
अफगानिस्तान ने क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है और कुछ बड़ी टीमों के
खिलाफ मैच जीते हैं। एशिया कप में भी शानदार प्रदर्शन जारी है। लेकिन फगानिस्तान
का जीरो से यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था। देश में लगातार अस्थिरता का
माहौल है ऐसे में एक टीम का बनतकर सामने आना क्रिकेट दुनिया के लिए ही नहीं बल्कि
खुद आफगानिस्तान के लिए अच्छा है।
आफगानिस्तान में पिछले कुछ सालों से युद्ध जैसे हालात है, जिस कारण आए दिन बम विस्फोट
होते रहते हैं और लोगों की मौत होती रहती है लेकिन इन सब मुश्किल हालातों से निकल
वहां एक से एक अच्छे खिलाड़ी दुनिया के कई लीगों में खेल रहे हैं और नाम कमा रहे
हैं।
जिस कारण उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों के लिए इन खिलाड़ियों ने एक
ऐसा कारण दिया है हंसने, खुश होने
का और गर्व करने का जो उनके दुख और तकलीफों पर मरहम का काम करेगा।
एशिया कप के दौरान भी आपने देखा होगा कि किस तरह अफगानिस्तान के
दर्शक चौका लगने या विकेट गिरने पर जिस तरह बालों का डांस करते हैं, मन लुभाने के लिए काफी है।
ऐसा नहीं है कि उनके पास और भी कारण नहीं होंगे हंसने,गाने,नाचने के लेकिन जब आपको
दुनिया भर में देखा जा रहा हो
तो आपकी पहचान को लेकर लोगों की अब तक मानसिकता में परिवर्तन होगा।
इस साकरात्कता का फायदा आने वाले दिनों में अफगानिस्तान को ही मिलेगा।
अफगानिस्तान के लिए एक अच्छी बात ये है कि उनकी टीम को दुनिया भर के
लोग सपोर्ट करते है। इसके भी कारण क्योंकि राशिद खान, मोहम्मद नबी और मुजीब रहमान
कई दोशों की लीग में खेलते हैं और सबके पंसदीदा खिलाड़ी है, तो जब भी अफगानिस्तान का
मैच होता है तो बड़ी ही उत्सुकता से लोग इनका मैच देखते हैं और स्पोर्ट करते
हैं।
यही नहीं उनकी टीम के कप्तान असगर स्टैनिकजई ने अफगान नागरिकों की
पहचान की रक्षा के लिए अपने नाम मे बदलाव कर असफर अफगान कर लिया है. ऐसा इसलिए हुआ
कि उन्होंने खुद अपने देश के लोगों के संघर्ष करते देखा है, और जिस तरह उनके खुशी के
लिए अपना योगदान दे सकते हैं या लोगों को प्रोत्साहित कर सकते हैं करने की कोशिश
कर रहे हैं।
उनके दर्द का एसहास इस बात से लगाया जा सकता है कि जब आईपीएल में
राशिद खान को मान ऑप द मैच मिला तो उन्होंने इस अवार्ड को अफगानिस्तान में हुए
धमाके में मरने वाले लोगों को समर्पित किया, फिर एशिया कप में उन्होंने अपना मैन ऑफ द मैच अफगानिस्तान क्रिकेट
के पूर्व चेयरमैन आतिफ मशाल को समर्पित करना कर दिया जिन्होंने देश में क्रिकेट
को बढा़वा देने के लिए हाल के वर्षों में काफी अच्छा काम किया था।
इससे साफ पता चलता है कि अफगान के खिलाड़ी लौटाना भी जानते हैं, अपने देश के लोगों को। हो
भी क्यों न जब देश में युद्ध जैसे हालात को झेलने के बाद यही राशिद खान पलायन कर
पाकिस्तान में रहने को मजबूर होना पड़ा था और वहां उन्होंने एक टेंट में रहकर
क्रिकेट सीखा, जिस कारण
बहुत ही नजदीक से ये दर्द को जानते हैं और उसी हिसाब से अपने काम को अंजाम देते
हैं।
आने वाले दिनों में अगर ऐसा ही चलता रहा तो अफगानिस्तान का भविष्य
क्रिकेट में बहुत उज्जवल दिख रहा है, और ये उम्मीद है अफगानिस्तान क्रिकेट के जरिये एक अलग पहचान बनाने
में कामयाब हो।

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