खेल के मैदान पर हमेशा एक
टीम जीतती है, एक टीम
हारती है, ड्रा भी
होती है और कोई दिल भी जीतता है। जब किसी टीम के जीतने-हारने पर आप कई खिलाडियों
के रोते हुए देखते होंगे तो कई बार उस खुलाड़ी को उसी टीम के खिलाड़ी हिम्मत दे
रहे होते हैं तो वहीं कुछ खिलाड़ियों को दूसरी टीम के खिलाड़ी.
कई बार आप दूसरे विरोधी टीम के खिलाड़ियों के साथ इस तरह पेश आते हैं
जब दिल करता है ऐसा दृश्य बार बार सामने आए क्योंकि ऐसी तस्वीर लोगों के दिलों को
जीतती ही नहीं बल्कि न जाने कितने लोगों को अपने आप को समझने का मौका देती है।
अब एशिया कप को ही ले लीजिए जब आफगान के गेंदबाज आफताब आलम की लगातार
गेंदों पर चौका और छक्का मारकर शोएब मलिक ने पाकिस्तान की टीम को मैच जिताया तो
आफताब आलम फूट-फूटकर रोने लगे,
उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, अफाताब आलम को अपने आप पर पूरा विश्वास रहा होगा कि वो ये मैच निकाल
सकते हैं, दूसरा
पूरा देश उनसे उम्मीद लगा रहा था कि वो टीम को जीत दिलाए ऐसे में स्वाभाविक है कि
खिलाड़ी रोने लगे लेकिन इसके बाद जब शोएब मलिक ने जाकर उनके गले लगा कर चुपा कराया
वो दृश्य देखेन लायक था।
इससे पहले भी जब 2015
के वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल में न्यूजीलैंड के ग्रांट एलियट ने डेल
स्टेन की गेंद पर छक्का मार कर जीत दिलाई तो डेल स्टेन वहीं पर गिरकर रोने लगे, जिसके बाद जैसे ही ग्रांट
एलियट ने देखा वो तुरंत गए और अपना हाथ बढ़ाया उनको उठाया और गले गलाया।
इसके अलावा आपने फील्ड पर हो रही हलचल पर कभी कम ही नजर गई हो लेकिन
देखने वाली बहुत सी चीजें होती रहती है। एशिया कप के ही एक मैच में जब राशिद खान
बहुत ही शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे कि अचानक एक रन लेने के लिए दौड़े, तभी गिर जाते हैं लेकिन
किसी तरह वो अपनी क्रीज में हाथ को पहुंचाते हैं। इस बीच गेंद बंग्लादेश के
विकेटकीपर लिट्टन दास के हाथों में आ जाती है और लिट्टन राशिद के हाथ को क्रीज से
हटाकर स्टंप करते हैं , जिसके
बाद दोनों हसंते हैं, ऐसे पल
लोगों को प्यार सिखाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था शोएब अख्तर के साथ, जब दर्द से कराह रहे थे तो
विरेंद्र सहवाग ने जाकर उन्हें सहारा दिया।
अपना पहला टेस्ट मैच खेल रही अफगानिस्तान की टीम जब मैच हार गई तो
भारत के कप्तान अंजिक्या रहाणे ने विजयी कप को अफगानिस्तान के खिलाड़ियों के साथ
लेकर जीत का जश्न मनाया।
कुछ ऐसा हुआ फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल में जब फ्रांस ने क्रोएशिया को
हराया तो सभी खिलाड़ी रो रहे थे फिर उनके फ्रांस को कोच ने जाकर क्रोएशियाई
खिलाड़ी से बात की उनके प्रदर्शन की तारीफ की उनको चुप कराया।
ऐसे पल खेल के मैदान पर बहुत कम दिखते हैं लेकिन जब भी दिखता है
लोगों को जोड़ता है देश को जोड़ता है।
यही नहीं एक-दूसरे के साथ खेलने और मिलने-जुलने से संचार होता है, जिससे लोग एक-दूसरे को
ज्यादा अच्छे तरीके से समझते है और जानते हैं जिससे दोनों तरह एक बहेतर संदेश जाता
है और लोग जुड़ते हैं। आईपीएल एक उदाहरण है जहां कई देशों के खिलाड़ी एक टीम से
खेलते हैं इससे दोस्ती है, जिससे
देखकर हर कोई लुत्फ उठाता है।
मैं जब सुनता था कि खेल, गाने, कलाकार
देश को, लोगों को जोड़ते हैं तो
मेरे मन में सवाल उठता था कि वे कैसे ऐसा करते हैं जिसका जवाब मुझे इन घटानओं से
मिला। शायद आपको भी मिला होगा।

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