भारत ने एक बेहद ही रोमांचक मैच में बांग्लादेश को 3 विकेट से हरा
कर एशिया कप अपने नाम कर लिया। इस टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले क्रिकेट पंडित पाकिस्तान पर दांव लगा रहे थें लेकिन एशिया कप में पाकिस्तान के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि एक दिन
अच्छा होने या अच्छा क्रिकेट खेलने से आप हर बार कप नहीं उठा सकते।
पूरे एशिया कप में देखें तो पाकिस्तान की टीम
हांगकांग को छोड़कर किसी भी देश के सामने अपने आपको सहज महसूस नहीं कर पाई। हांगकांग के खिलाफ पहले ही मैच में भले ही उन्हें
जीत मिली हो लेकिन उनके कप्तान सरफराज अहमद और पूरी टीम की शारीरिक भाषा को गौर से
देखने से साफ पता चल रहा था कि दबे-दबे से, चिढ़े-चिढ़े से , आत्मविश्वास
लाने की लड़ाई करते, उत्साह की भी
कमी के साथ साथ बिखरी-बिखरी सी नजर आई।
पाकिस्तान की टीम को देखने से लग रहा था कि ये टीम अभी भी चैंपियंस ट्रॉफी की जीत से बाहर नहीं निकल पाई थी और जीत का जज्बा लेकर नहीं जज्बात लेकर एशिया कप खेलने पहुंची थी।
पाकिस्तान की टीम को देखने से लग रहा था कि ये टीम अभी भी चैंपियंस ट्रॉफी की जीत से बाहर नहीं निकल पाई थी और जीत का जज्बा लेकर नहीं जज्बात लेकर एशिया कप खेलने पहुंची थी।
ये सभी को पता है कोई
भी मैच जज्बात से नहीं जीते सकते। शोएब मालिक, बाबर आज़म और इमाम उल
हक को छोड़कर शायद ही कोई पाकिस्तानी गेंदबाज या बल्लेबाज पूरे एशिया कप में अपने
अंदर आत्मविश्वास ला पाया हो। जबकि ये श्रृंखला इसलिए भी महत्वपूर्ण थी कि इन 6 टीमों में से कम से कम 5 टीमें जरूर वर्ल्ड कप में भाग लेगी। पाकिस्तान के
पास अपनी तैयारी को परखने का मौका था लेकिन उसमें बुरी तरह विफल रही। एक मैच में
भी किसी पाकिस्तानी गेंदबाजों या बल्लेबाजों ने ऐसा खेल नहीं दिखाया जो लगे कि ये
टीम वर्ल्ड कप के लिए तैयार है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि टीम में टैलेंट की कमी है।
फखर ज़मां, इमाम उल हक, बाबर आजम बहुत
जबरदस्त खिलाड़ी हैं लेकिन इनका भी हाल लग
रह है कि नासिर जमशेद, अहमद शहजाद और उमर अकमल जैसा होने जा रहा है। इन खिलाड़ियों में अपार झमता
थी पर इनको मौके ड्राप करके-करके दिए गए, इनका सही इस्तेमाल नहीं किया गया, इनके सही क्रम की पहचान नहीं की गई , इनके टैलेंट की पहचान
नहीं की गई और नहीं कभी टीम मैनेजमेंट ने इन खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाया। ये बात
सही है कि मौके मिले लेकिन आप किसी खिलाड़ी को कैसे बनाना चाहते हैं ये जिम्मेदारी
टीम मैनेजमेंट की भी है। वीरेंद्र सहवाग, रोहित शर्मा , स्टीव स्मिथ, कुछ हद तक महेंद्र सिंह धोनी भी जिनको 6-7वें स्थान पर शुरू
में मौके मिले, जैसा ज्यादातर विकेटकीपर
बल्लेबाज को मिलता है। धोनी वहां पर एक तरह से फ्लॉप ही हुए जितनी गेंदें खेलने को
मिले उसको भी ठीक से नहीं खेल पाएं। रोहित शर्मा को देखिए जिनको 4-5वें स्थान पर खिलाया गया, उन्होंने कुछ अच्छी पारियां जरूर खेली लेकिन उनके करियर का
ग्राफ गिरने लगा थी की अचानक ओपनिंग करने भेजा गया और उसका रिजल्ट सबके सामने है।
अब तक वनडे में 3 दोहरा
शतक लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज हैं। स्टीव स्मिथ ने हालांकि एक गेंदबाज के तौर
अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन जब बल्लेबाज के रूप में ढ़ले तो उनको भी बहुत
नीचे खिलाया जाता था। जब उन्हें ऊपर भेजा गया तो उनके करियर में चार चांद लग गया
और इस समय दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। ये अलग बात है कि आजकल
गेंद से छेड़छाड़ के मामले में प्रतिबंध झेल रहे हैं।
हर खिलाड़ी में इतना आपार टैलेंट नहीं होता, ऐसे खिलाड़ियों की खोज कर उसे बनाया जाता है। भले आज भारत के पास सचिन, सहवाग, गांगुली, द्रविड़ नहीं हैं लेकिन टैलेंट को पहचान कर उसको ऐसा बनाया गया है कि उनकी कभी मैदान पर कमीं नहीं खली।
हर खिलाड़ी में इतना आपार टैलेंट नहीं होता, ऐसे खिलाड़ियों की खोज कर उसे बनाया जाता है। भले आज भारत के पास सचिन, सहवाग, गांगुली, द्रविड़ नहीं हैं लेकिन टैलेंट को पहचान कर उसको ऐसा बनाया गया है कि उनकी कभी मैदान पर कमीं नहीं खली।
पाकिस्तान में अभी भी इंजमाम, सईद अनवर मोहम्मद युसूफ जैसे खिलाड़ियों की खोज जारी है। आप
देखें तो मोहम्मद हफीज एक ऑप्शन है पाकिस्तान के पास वर्ल्ड कप के लिए लेकिन उनको
टीम से बाहर कर दिया गया। किसी भी टीम को एक टीम बनाने में गेंदबाज और बल्लेबाज मिलाकर कम से कम 3-4 अनुभवी खिलाड़ियों की
जरुरत पड़ती है, जिनसे युवा सीखते और प्रेरित
होते हैं। पाकिस्तान के पास बस फिलहाल शोएब मलिक हैं जो खुद पूरी जिम्मेदारी
सँभालने में रह गए। अज़हर अली और असद शफीक भले ही वनडे के हिसाब से थोड़े स्लो हैं
लेकिन एक अच्छी और बैलेंस्ड टीम बनाने के लिए उनकी जरुरत है पाकिस्तान को। हारिस
सोहेल भी एक अच्छे खिलाड़ी है, उनका ठीक से इस्तेमाल नहीं
किया जा रहा है। हर सीरीज में पाकिस्तान की टीम 4-5 नए खिलाड़ियों को जगह देती है, जगह देना कोई गलती नहीं है, गलती
ये है कि उन्हें जमने नहीं दिया जाता। 1-2 सीरीज के बाद फिर वें खिलाड़ी कहीं दिखते ही नहीं। शमी असलम, शान मसूद और मोहम्मद
रिज़वान, शर्जिल खान का वही हाल है। एक
तो पाकिस्तान में डोप के मामले भी ज्यादा हैं, जिसमें
शर्जिल खान और नासिर जमशेद का नाम भी है इसलिए पाकिस्तान को इस तरफ भी ध्यान देना
होगा। गेंदबाजी में भी पाकिस्तान को एक स्पिनर की तलाश है। ऑलराउंडर स्पिनर नवाज़, इमाद और शादाब, ये ओवर निकलवाने
के लिए एक ऑप्शन हैं लेकिन इससे काम नहीं चलेगा यासिर शाह या सईद अजमल जैसों की
खोज करनी होगी।
तेज गेंदबाजी में भी पाकिस्तान को देखें तो पहली
बार इतनी कमजोर दिखी। आमिर विकेट नहीं ले पा रहे हैं। कारण भी हैं जब से उनकी टीम
में वापसी हुई है लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। उनका इस्तेमाल किस तरह किया जाए
पाकिस्तान समझ नहीं पा रही है जिस तरह शोएब अख्तर के साथ उनके करियर के अंतिम
दिनों में हुआ। आमिर में विकेट लेने की ललक ही नहीं दिख रही है। यही हसन अली के
साथ हो रहा है जबकि अभी भी वहाब रियाज से बहुत काम लिया सकता है लेकिन वें टीम से
बाहर हैं।
चौथे नंबर पर एक अच्छे बल्लेबाज की तलाश करनी
होगी, काम चलाऊ बल्लेबाजों से ज्यादा दिन काम नहीं
बनेंगे। 7वें नंबर पर आसिफ जैसे बल्लेबाज को सेट करना होगा और उसे
बनाना होगा। यहां खुद कप्तान अपने बैटिंग क्रम को ढूंढते दिखे जो किसी भी टीम की
लाचारी को दिखाती है।
अब आते हैं बंग्लादेश और अफगानिस्तान की टीम पर।
दोनों टीमें जज्बे के साथ यहां खलने पहुंची थी। दोनों
टीमों के वें खिलाड़ी भी जो कुछ दिन पहले तक माइनर लगते थे मैच्योर दिखे।
अफगानिस्तान की तरफ से जहां एक बार फिर राशिद खान ने प्रभावित किया वहीं आफताब,
शहीदी, रहमत ने भी शानदार केल दिखाया। इस बीच
बंग्लादेश की टीम में एक कमी बहुत दिनों बाद दिखी कि उनके पास इस समय शाकिब को
छोड़कर कोई खासा अच्छा स्पिनर हैं नहीं।
अब्दुर रज्जाक और मोहम्मद रफीक जैसे स्पिनरों की खोज बंग्लादेश को भी करनी होगी। एनामुल, मोसादिक और मेराज से कोई काम बनता दिखा नहीं इसमें से मोसादिक और मेराज ऑलराउंडर है तो उनकी गेंदबाजी भी बस काम चलाने के लिए ही कही जा सकती है।
अब्दुर रज्जाक और मोहम्मद रफीक जैसे स्पिनरों की खोज बंग्लादेश को भी करनी होगी। एनामुल, मोसादिक और मेराज से कोई काम बनता दिखा नहीं इसमें से मोसादिक और मेराज ऑलराउंडर है तो उनकी गेंदबाजी भी बस काम चलाने के लिए ही कही जा सकती है।
इस मामले में भारत और अफगानिस्तान भाग्यशाली हैं, जिनके पास एक से बढ़कर एक अच्छे स्पिनर हैं। श्रीलंका के
पास भी धनंजय के रूप में एक बढ़िया स्पिनर है।
यहीं नहीं बांग्लादेश में एक शाकिब के नहीं रहने
से बल्लेबाजी को साथ-साथ स्पिनर की कमी भी खली। उसी तरह तमीम की भी कमी दिखी, कभी सौम्य तो कभी मेंहदी ओपन करते दिखे। ये अच्छे खिलाड़ी
है लेकिन इन्हें बनाना होगा। इस एशिया कप में बांग्लादेश के कप्तान मशरफे मुर्तजा
की जो बॉडी लैंग्वेज के अलावा कप्तानी थी वह बेहुत ही शानदार थी। मुर्तजा इतना
मैच्योर कभी नहीं दिखे। अंत में यही कहा जा सकता है कि अफगानिस्तान और बंग्लादेश
की टीम कुछ पाने आई थी , भारत क्रिकेट
खेलने आया था और पाकिस्तान भारत को चैंपियंस ट्रॉफी की तरह हराने आया था इसलिए
तमाम दिग्गजों की फेवरेट टीम होने के बावजूद बाहर हो गई।
भारत को भी तीन मैचों में संघर्ष करना पड़ा लेकिन अच्छी बात ये दिखी की 7-8वें नंबर के खिलाड़ी में भी मैच जीतने का आत्मविश्वास था और वैसे ही 172 रनों तक विकेट न मिलने के बाद भी 284 रनों से पहले हांगकांग को रोक देने के हौसला। यही कारण है कि भारत की टीम ने एशिया कप अपने नाम किया। पाकिस्तान को इसलिए भी सोचने की जरुरत है कि भारत के
पास इतनी अच्छी बैकअप टीम है फिर भी अफगानिस्तान के खिलाफ मैच नहीं जीत पाई फिर
उनके पास तो इस तरह का बैकअप भी नहीं है।
भारत को भी तीन मैचों में संघर्ष करना पड़ा लेकिन अच्छी बात ये दिखी की 7-8वें नंबर के खिलाड़ी में भी मैच जीतने का आत्मविश्वास था और वैसे ही 172 रनों तक विकेट न मिलने के बाद भी 284 रनों से पहले हांगकांग को रोक देने के हौसला। यही कारण है कि भारत की टीम ने एशिया कप अपने नाम किया।
श्रीलंका भी एशिया कप में लग रहा था बिना किसी तैयारी के यहां बस खेलने पहुंचा था। कोई भी खिलाड़ी बंग्लादेश और अफगानिस्तान से संघर्ष करता नहीं दिखा। श्रीलंका इस समय परिवर्तन के दौर से गुर रहा है ऐसे में प्रदर्शन उपर नीचे होता है कुछ दिन पहले ही उन्होंने साउथ अफ्रीका को टेस्ट सीरीज में हराया लेकिन यहां किसी भी तरह जीत की स्थिति में नहीं दिखी। इस टीम को अभी वर्ल्ड कप में कुछ करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। हांगकांग की टीम ने भी अपने खेल से लोगों का मन भाया लेकिन अभी एक टीम बनने में टाइम लगेगा। पर इतना जरूर है कि उनको इन बड़ी टीमों से सीखने को बहुत कुछ मिला होगा जो आगे फायदेमंद साबित होगा।







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