इस समय देश में 'मी टू' अभियान चल रहा है। जिससे कई क्षेत्रों में मुग़ल बने बैठे लोग बेनकाब हो रहे हैं। ऐसे-ऐसे संस्कारियों के संस्कार सामने आ रहे हैं जो सोचने पर मजबूर कर देती है। हालांकि अधिकतर संख्या ऐसे लोगों की होगी जो कभी न कभी अपने बचपन से लेकर जवानी तक, जवानी से लेकर बुढ़ापे तक, कुछ ऐसा किया होगा जो मी टू के फ्रेम में फिट बैठता हो।
इसलिए जो महिलाएं आरोप लगा रही हैं उन्हें समझना चाहिए। क्या बोलने जा रही हैं और क्या हुआ था? क्योंकि इससे उसकी गंभीरता बनी रहेगी और इस कैंपेन की वैल्यू भी बढ़ती रहेगी। इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि अगर कभी हंसी-खेल में , अपनी मर्जी से, अपनी सहमति से कुछ हुआ हो और अब उसके साथ अच्छे संबंध नहीं हैं तो इसे बिलकुल भी 'मी टू' कैंपेन से जोड़ना उचित नहीं होगा।
उन्हीं मामलों को सभी के सामने रखना चाहिए जिनके साथ जोर जबरदस्ती के साथ-साथ, झांसा, लालच देकर इस तरह की गंदी हरकत की गई हो। अगर किसी तरह की लालच में कुछ किया गया हो अपनी मर्जी से, उसे भी इसमें शामिल करना उचित नहीं होगा। ऐसे मामलों को भी मी टू कैंपेन से जोड़ा जा रहा है तो उन्हें खुद सोचना चाहिए कि जब ये सब हो रहा था तो इसका विरोध क्यों नहीं किया गया? तभी विरोध करती और अपने लालच को ठोकर मार कर आ जाती। लेकिन अब जब मतलब पूरा हो गया तो आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
हालांकि जिनके साथ इस तरह की जबरदस्ती हुई है और वह आज आवाज उठा रही हैं तो उनके आरोपों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि उस समय ऐसी परिस्थिति नहीं रही होगी, साथ ही जब किसी की संख्या कम होती है, किसी चीज का डर होता है तो ऊंचाई पर बैठे लोग शोषण करते हैं। लेकिन अब अब महिलाएं पहले से ज्यादा शक्ति के साथ उठकर उनके खिलाफ आवाज उठा रही है तो ये तर्क बिलकुल भी नहीं दिया जाए कि उस समय कहां थी? साथ ही यह भी श्योर होना चाहिए कि आरोपी को सजा मिले।
एक मर्द को किसी महिला की जज्बात और एहसासात को समझना बहुत मुश्किल है। क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि लड़की जैसे भी चाहे आपके साथ फ्रैंडली हो जाती है लेकिन उसके जज्बात और एहसासात का कद्र किए बिना लगता हैं कि वह कुछ करवाना चाहती है। यहीं से मर्दों में गलतफहमी शुरू हो जाती है। क्योंकि एक मर्द के जज्बात और एहसास को भांपना ज्यादा आसान है जबकि औरतों का थोड़ा कठिन।
ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए की कोई लड़की फ्रैंडली हो रही है तो वह फकिंग करना चाहती है। लड़की से इस मसले पर बात कर उस सोच को भी खत्म किया जा सकता है। फिलहाल जिस-जिस तरह के घटनाएं महिलाएं आगे आकर सुना रही हैं इस तरह की घटनाएं हर क्षेत्र, राज्य और दुनिया में है लेकिन इसमें मीडिया के लोग और मायानगरी के स्टार के वह नाम हैं जो हर दिन समाज को संदेश देते रहते हैं। उनकी हरकत किसी मेले की छिछोरे द्वारा की गई हरकत दिखती है।
यहां युवा लड़कियों को भी सीखना चाहिए कि इस तरह के मामले को किस तरह हैंडल करना चाहिए। एक बात यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सेक्स की चाहत दोनों लिंगों में रहने के बावजूद बिना मर्जी के ही मर्द कैसे किसी साथ जबरदस्ती कर सकता हैं? ऐसा बिलकुल भी नहीं किया सकता है। उससे जरबदस्ती नहीं की जा सकती है उसे चुनने की आजादी होनी चाहिए।
इसलिए जो महिलाएं आरोप लगा रही हैं उन्हें समझना चाहिए। क्या बोलने जा रही हैं और क्या हुआ था? क्योंकि इससे उसकी गंभीरता बनी रहेगी और इस कैंपेन की वैल्यू भी बढ़ती रहेगी। इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि अगर कभी हंसी-खेल में , अपनी मर्जी से, अपनी सहमति से कुछ हुआ हो और अब उसके साथ अच्छे संबंध नहीं हैं तो इसे बिलकुल भी 'मी टू' कैंपेन से जोड़ना उचित नहीं होगा।
उन्हीं मामलों को सभी के सामने रखना चाहिए जिनके साथ जोर जबरदस्ती के साथ-साथ, झांसा, लालच देकर इस तरह की गंदी हरकत की गई हो। अगर किसी तरह की लालच में कुछ किया गया हो अपनी मर्जी से, उसे भी इसमें शामिल करना उचित नहीं होगा। ऐसे मामलों को भी मी टू कैंपेन से जोड़ा जा रहा है तो उन्हें खुद सोचना चाहिए कि जब ये सब हो रहा था तो इसका विरोध क्यों नहीं किया गया? तभी विरोध करती और अपने लालच को ठोकर मार कर आ जाती। लेकिन अब जब मतलब पूरा हो गया तो आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
हालांकि जिनके साथ इस तरह की जबरदस्ती हुई है और वह आज आवाज उठा रही हैं तो उनके आरोपों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि उस समय ऐसी परिस्थिति नहीं रही होगी, साथ ही जब किसी की संख्या कम होती है, किसी चीज का डर होता है तो ऊंचाई पर बैठे लोग शोषण करते हैं। लेकिन अब अब महिलाएं पहले से ज्यादा शक्ति के साथ उठकर उनके खिलाफ आवाज उठा रही है तो ये तर्क बिलकुल भी नहीं दिया जाए कि उस समय कहां थी? साथ ही यह भी श्योर होना चाहिए कि आरोपी को सजा मिले।
एक मर्द को किसी महिला की जज्बात और एहसासात को समझना बहुत मुश्किल है। क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि लड़की जैसे भी चाहे आपके साथ फ्रैंडली हो जाती है लेकिन उसके जज्बात और एहसासात का कद्र किए बिना लगता हैं कि वह कुछ करवाना चाहती है। यहीं से मर्दों में गलतफहमी शुरू हो जाती है। क्योंकि एक मर्द के जज्बात और एहसास को भांपना ज्यादा आसान है जबकि औरतों का थोड़ा कठिन।
ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचना चाहिए की कोई लड़की फ्रैंडली हो रही है तो वह फकिंग करना चाहती है। लड़की से इस मसले पर बात कर उस सोच को भी खत्म किया जा सकता है। फिलहाल जिस-जिस तरह के घटनाएं महिलाएं आगे आकर सुना रही हैं इस तरह की घटनाएं हर क्षेत्र, राज्य और दुनिया में है लेकिन इसमें मीडिया के लोग और मायानगरी के स्टार के वह नाम हैं जो हर दिन समाज को संदेश देते रहते हैं। उनकी हरकत किसी मेले की छिछोरे द्वारा की गई हरकत दिखती है।
यहां युवा लड़कियों को भी सीखना चाहिए कि इस तरह के मामले को किस तरह हैंडल करना चाहिए। एक बात यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सेक्स की चाहत दोनों लिंगों में रहने के बावजूद बिना मर्जी के ही मर्द कैसे किसी साथ जबरदस्ती कर सकता हैं? ऐसा बिलकुल भी नहीं किया सकता है। उससे जरबदस्ती नहीं की जा सकती है उसे चुनने की आजादी होनी चाहिए।

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