बिहार में जिस तरह से गंगा नहाने गई
एक महिला से रेप की घटना हुई,
हम भले ही इसके लिए सरकार, सिस्टम और पुलिस
को जिम्मेदार माने लेकिन यह एक सामाजिक और पारिवारिक नाकामी भी है।
सबसे ज्यादा खौफनाक बात यह है कि देश में एक नया चलन शुरू हुआ है। रेप और छेड़खानी का वीडियो बनाने का।
इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला शख्स वीडियो इसलिए ही बनाता होगा कि उसका मजा बाद में भी देखकर ले पाए और अपने दोस्तों को भी दिखा पाए।
ऐसी स्थिति में अगर
वह पकड़े जाने के डर से वीडियो खुद अपलोड नहीं भी करता होगा तो कम से कम अपने दोस्तों को भेजता होगा। फिर वह दोस्त किसी और दोस्त को भेजता होगा। जिस कारण ये वीडियो हमलोगों के सामने आ पाता है। सोचिए अगर रेप करने और उसका वीडियो बनाने वाले लोग पकड़े नहीं जाते होंगे तो पता नहीं इस तरह की हरकत कई के साथ करते होंगे या कर चुके होंगे। पूर्व में इस तरह के कई खुलासे भी हुए हैं।
अब मुख्य सवाल ये है इनको इतना हिम्मत
और हौसला कहां से मिलता है? रेप करने और वीडियो बनाने का। इसमें पुलिस और सरकार
को दोष देना कितना उचित है? जिस जगह पर ये घटना हुई अगर वहां पर देखें तो ऐसे कोई
बात नहीं दिखती कि पुलिस लगाई जाए। जब पुलिस को खबर हुई तो उन्होंने पकड़कर जेल
भेजा। कोई सरकार भी नहीं चाहती होगी कि इस तरह की घटना हो लेकिन इसे रोकने के
लिए किस स्तर पर काम किया जाए ये जरुर सोचना चाहिए।
इस तरह की घटना के लिए एक हद तक आरोपी
का परिवार भी जिम्मेदार है। इसलिए उसके परिवार के कुछ सदस्यों पर भी सजा का
प्रावधान होना चाहिए। ये नहीं कहा जा सकता कि इससे पूरी तरह से रोक लग जाएगी
लेकिन कुछ हद तक लोग जिम्मेदारी होंगे।
कई ऐसे मामलों में देखा गया है कि
रेपिस्ट जब पकड़ा जाता है तो उसके परिवार के लोग किस तरह बचाने के लिए हथकंडा अपनाते
हैं। फिर ऐसा क्यों न माना जाए कि रेपिस्ट के साथ-साथ कुछ जिम्मेदारी उसके परिवार की
भी है। मोकामा के मामले को ही देखा जाए तो क्या ये शख्स नॉर्मल है, बिलकुल भी
नहीं! कैसे हो सकता जो खुलेआम ऐसा कुकर्म करे?
ऐसे लोग कभी न कभी इस तरह का बर्ताव घर, समाज और आसपास में किसी के साथ तो करते होंगे। उसी समय इसका विरोध किया जाए और उचित कार्रवाई हो तो इस तरह की घटना पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है।
इसलिए समाज और परिवार के लोगों को इस तरह की घटना से पूरी तरह निकाल देना गलत है। ऐसे लोगों के परिवार के लोग भी इनकी गन्दी हरकतों को इग्नोर कर देते हैं लेकिन उनको पता नहीं की यहां से उसे प्रोत्साहन मिलता है और हिम्मत भी यहीं से बनने लगता है। जिस कारण किसी के साथ भी जबरदस्ती छेड़खानी करने लगता है।
धीरे-धीरे ये सब बातें उसे इतना नॉर्मल कर देती है कि किसी का रेप कर देता है। अब जब दिनदहाड़े-खुलेआम इस तरफ की घटनाएं सामने आ रही है तो जरूरत है कि सरकार हर स्तर से लोगों में जागरूकता लाने का काम करें ताकि ऐसे मामलों को बढ़ने से रोका जाए।
ऐसे लोग कभी न कभी इस तरह का बर्ताव घर, समाज और आसपास में किसी के साथ तो करते होंगे। उसी समय इसका विरोध किया जाए और उचित कार्रवाई हो तो इस तरह की घटना पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है।
इसलिए समाज और परिवार के लोगों को इस तरह की घटना से पूरी तरह निकाल देना गलत है। ऐसे लोगों के परिवार के लोग भी इनकी गन्दी हरकतों को इग्नोर कर देते हैं लेकिन उनको पता नहीं की यहां से उसे प्रोत्साहन मिलता है और हिम्मत भी यहीं से बनने लगता है। जिस कारण किसी के साथ भी जबरदस्ती छेड़खानी करने लगता है।
धीरे-धीरे ये सब बातें उसे इतना नॉर्मल कर देती है कि किसी का रेप कर देता है। अब जब दिनदहाड़े-खुलेआम इस तरफ की घटनाएं सामने आ रही है तो जरूरत है कि सरकार हर स्तर से लोगों में जागरूकता लाने का काम करें ताकि ऐसे मामलों को बढ़ने से रोका जाए।
सरकार को समाज और परिवार के लोगों के लिए
भी एक ऐसी प्रक्रिया बनानी चाहिए, जिससे इस तरह की हरकतों पर कैसे कदम उठाए जाने चाहिए, वह बताया जाए? और खुलकर विरोध कर सके। अभी बहुत से परिवार जिनके घर में इस मानसिकता के लोग होंगे, उनके तमाम हरकतों पर सिर्फ इसलिए पर्दा डाल देते होंगे कि उनको मालूम ही नहीं होगा इसे रोका कैसे जाए, इसका विरोध कैसे किया जाए, इसको सही रास्ते पर कैसे लाया
जाए?
इसलिए सरकार इस स्तर पर बहुत काम कर
सकती है। हर परिवार को अपना बेटा कैसा भी हो प्यारा होता है इसलिए ऐसे लोग नहीं
चाहते कि उसके घर में की गई हरकतों को लोग जाने और बदनामी के डर से वह कुछ नहीं
बोलते, जो आगे जाकर जी का जंजाल बन जाता है।
परिवारों को कुछ इस तरह शिक्षित करना
होगा कि लोग खुद समाज के लोगों या पुलिस के पास जाकर ये कहे कि इसकी हरकत ऐसी
है, क्या किया जाए और उस शख्स के साथ उसी तरह का ट्रीट किया जाए। इससे
किसी दूसरे की तरफ जाने की हिम्मत न करे। वहीं समाज में किसी भी तरह की ऐसी एक्टिविटी दिखाई पड़ती हो तो
उसपर उसी स्तर की कार्रवाई हो। ऐसे कुछ रास्तें सरकार, सिस्टम और पुलिस को निकलने होंगे। ऐसा नहीं है कि इसकी पहचान बहुत मुश्किल है लेकिन पहचान करने के लिए इनके नींव
पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
वहीं यह भी श्योर करना चाहिए कि कठोर से कठोर सजा मिले
ताकि उसके जानने वाले और इसके बारे में जानने वाले इस तरह की हरकत करने से डरे।
यही नहीं गलती का अंजाम समझे और सजा भी जल्दी मिले। पुलिस की कार्रवाई त्वरित हो। पुलिस
को भी ऐसे मामलों को निपटने के लिए अपने कामों में पारदर्शिता लानी होगी। कोई भी
हो छोड़ा न जाए, बेल न दी जाए ताकि ऐसे मामलों में कमी आए। नहीं तो ये चलन और
भयानक रूप ले सकता है।

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