राहुल गाँधी. नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. इसका कारण उनके तमाम गलतियां जो वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर तैरते रहते हैं. राहुल गांधी 2004 से सक्रिय राजनीति में हैं लेकिन "पप्पू" वाली उनकी ये इमेज 2012 के आसपास से बननी शुरू हुई। जिस आक्रमकता के साथ विपक्षी पार्टियों ने खासकर बीजेपी और पीएम मोदी ने उनपर हमला किया, उनके 8-9 साल के करियर में पहली बार हुआ, जिससे वह संभल नहीं पाए। कई बार इंटरव्यू और भाषण के दौरान उनका अटकना या किसी भी बात को स्पष्टता के साथ न रखना भी उनके खिलाफ गया और पप्पू वाले इमेज को बल मिला। हालांकि उन्होंने इस इमेज को तोड़ने की कोशिश बहुत दिनों बाद यानि हाल में समाप्त हुए संसद सत्र की दौरान की। जब उन्होंने पीएम मोदी को चैलेंज करते हुए आंख में आंख डाल कर भाषण दिया और बीजेपी से कहा- अगर आपको मैं पप्पू लगता हूं तो मैं पप्पू हूं। इस दौरान कई हमले पीएम मोदी पर करने के बाद जैसे ही भाषण खत्म हुआ तपाक से जाकर पीएम मोदी के गले लग गए, जिससे पीएम मोदी भी सकपका गए।
कूछ लोग यह भी कहते हैं कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को डूबाया, फिर वहीँ बोलते हैं कि कांग्रेस ने देश को 70 सालों तक लूटा तो यहां पर सवाल उठ सकता है कि राहुल ने कैसे डूबोया? राहुल तो मुश्किल से 15 साल से राजनीति में हैं जिसमें 10 साल उनकी पार्टी सत्ता में रही। ऐसा नहीं है कि उसमे राहुल गाँधी का योगदान नहीं रहा होगा। इस दौरान उनहोंने भट्टा पारसौल का मामला संसद में उठाया, जिसकी काफी चर्चा हुई। वैसे ही भ्रष्टाचार को लेकर एक बिल आ रहा था, जो भ्रष्टाचारियों को मदद करता, उसको रोकने में राहुल गांधी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये जरूर कहा जा सकता है कि इस दौरान घोटाले पर घोटाले हुए जिसने राहुल के इमेज के साथ-साथ कांग्रेस को भी काफी नुकसान पहुंचाया, जिसका खामियाजा भी कांग्रेस 2014 लोकसभा चुनाव में भुगत चुकी है और इतनी बड़ी पार्टी मात्र 44 सीटों पर सिमट गई।
हालांकि राहुल ने इसके बावजूद बहुत मेहनत की लेकिन पार्टी के खिलाफ एक माहौल तैयार हो चुका था सामने थे पीएम मोदी, ऐसे में पार पाना आसान नहीं था और हुआ भी वही। इस दौरान राहुल गांधी पर तरह-तरह के मजाक बने। बहुत सारे नेताओं का मजाक बनता है लेकिन सकारात्मक, अगर नकारात्मक भी बनता है तो बहुत कम। पर राहुल गांधी को लेकर इसकी झड़ी लग गई। हालांकि इससे कभी घबराते नहीं दिखे लेकिन इस इमेज को बदलना भी उनके सामने पार्टी को जीत दिलाने के बराबर है। इतने मजाक बनने के बाद भी जिस शालीनता के साथ राहुल गांधी लोगों के और मीडिया के सामने आकर अपनी बात को पुरजोर तरीके से थोड़ी बहुत गलती के साथ भी रखते हैं,घबराते नहीं वह कांग्रेस के लिए आने वाले दिनों में फायदा दे सकता है. वह खुद मानते हैं कि उनसे गलती होती है, जिसे ठीक करने की कोशिश भी करते हैं. राहुल गांधी जिस तरह चौपाल लगा कर लोगों से बात करते हैं वैसे पीएम मोदी को भी कम देखा गया है।
यहां सोचने वाली बात है ये है कि राहुल को विरासत में क्या मिला? कांग्रेस की सरकार में हुए कई घोटाले, पिता राजीव गांधी के ऊपर के घोटाले के दाग, दादी इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दाग, सहित कम उम्र में ही पिता,चाचा, दादी की असामयिक मौत की घटना, मनमोहन सरकार हुए घोटालों के दाग। ये सब राहुल गांधी को विरासत में मिले। एक डूबती पार्टी को बचाने की जम्मेदारी। इन सब बातों से राहुल गांधी संघर्ष कर रहे हैं।
यहीं नहीं पार्टी में इस समय उस कद को कोई नेता भी नहीं है जो राहुल का साथ दे। इसके बावजूद जमकर पसीना बहा रहे हैं जिसके परिणाम आने वाले दिनों में देखना होगा किया क्या मिलता है लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि कांग्रस का ये हाल सिर्फ राहुल गांधी की वजह से नहीं हुआ है। अब जब खुद पार्टी के अध्यक्ष हैं तो देखना दिलचस्प होगा कि अपनी कप्तानी में एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की नैया को किस तरह पार लगाते हैं। क्योंकि खासकर एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में पार्टी की तैयारी बेहतर दिख रही है और खुद एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के साथ मोर्चा भी संभाल रखा है तो वहीं राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के साथ। जहां ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इन राज्यों में इस बार कांग्रेस की वापसी हो सकती है।
छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के बिना देखना होगा किस तरह राहुल गांधी स्थानीय नेताओं से तालमेल बैठाते हैं। तेलंगाना की जहां तक बात है राहुल गांधी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है जो है वह पाना ही है क्योंकि वहां टीआरएस अभी भी सबसे मजबूत दल है। मिजोरम की जहां तक बात है लगातार दो बार सत्ता में बने रहने के बाद आंतरिक कलह और सत्ता विरोधी लहर की वजह से कांग्रेस के लिए मिजोरम में मुश्किल खड़ी होती दिख रही है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी यहां किस तरह पार्टी को संभालते हैं। अगर राहुल गांधी इन पांच राज्यों में से 3-4 राज्य में भी पार्टी की वापसी करा पाते हैं तो उनके उनके कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा सेट बैक होगा।
छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के बिना देखना होगा किस तरह राहुल गांधी स्थानीय नेताओं से तालमेल बैठाते हैं। तेलंगाना की जहां तक बात है राहुल गांधी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है जो है वह पाना ही है क्योंकि वहां टीआरएस अभी भी सबसे मजबूत दल है। मिजोरम की जहां तक बात है लगातार दो बार सत्ता में बने रहने के बाद आंतरिक कलह और सत्ता विरोधी लहर की वजह से कांग्रेस के लिए मिजोरम में मुश्किल खड़ी होती दिख रही है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी यहां किस तरह पार्टी को संभालते हैं। अगर राहुल गांधी इन पांच राज्यों में से 3-4 राज्य में भी पार्टी की वापसी करा पाते हैं तो उनके उनके कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा सेट बैक होगा।

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