इलाहाबाद। इस शहर का नाम सुनते ही , गंगा-यमुना के संगम , इलाहाबाद विश्वविद्यालय , इलाहाबाद हाईकोर्ट , कुम्भ मेला , अमिताभ बच्चन और मोहम्मद कैफ के चेहरे के सामने आ जाते हैं। मुझे याद है कि एक बार बचपन में दिल्ली से वापस बिहार लौट रहा था। रात होने लगी थी और मैं सो गया था कि एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी। मेरी नींद खुली तो किसी से पता चला ये इलाहाबाद रेलवे स्टेशन है। मैं खिड़की के बाहर देखने लगा , देखते-देखते मुझे याद नहीं कि कब नींद आई लेकिन इतना याद है ' गंगा के किनारे बसे इस शहर को मैंने जगमगाते हुए देखा , इस शहर को मैंने एक दीये की दो रोशनी में देखा। ' पानी के अंदर भी वह दीया वैसे ही जल रहा था जैसे पानी के बाहर , बुझने का नाम नहीं ले रही थी और मैं देखे जा रहा था। उस दिन मुझे सपनों के शहर होने का एहसास हुआ और मुलाकात भी। उस दिन से आजतक इलाहाबाद का नाम आते ही वहीं जगमगाता शहर दिखता है। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो बहुत बेकरारी से पता किया कि वह कौन सा शहर था। तो इस बात पर मुहर लगी कि इलाहाबाद था। मेरी आँखों के सामने से वो जगमगाता शहर दूर होने ही वाला था कि न्यूजीलैंड के खिलाफ एक...
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