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Showing posts from September, 2018

क्या योगी सरकार की 'ठोक देंगे" नीति से ठीक होगी यूपी की कानून व्यवस्था?

लखनऊ में 28 सितंबर की रात हुई विवेक तिवारी हत्या को लेकर हर तरह के सवाल-जवाब अब लोगों के सामने हैं जो इससे पहले की घटनाओं में नहीं हुआ था। विवेक तिवारी की हत्या के बाद पहली बार योगी सरकार में इतनी मजबूती के साथ यूपी पुलिस के कामकाज पर सवाल उठे। नोएडा के जितेंद्र यादव के एनकाउंटर में भी सवाल उठे थे, इन सब के अलावा भी कई एनकाउंटर हुए जिनके फ़र्ज़ी होने की बात कही गई। कुछ दिन पहले ही अलीगढ़ में मीडिया को बुलाकर उनकी मौजूदगी में एनकाउंटर का खेल खेला गया, जिसपर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। लेकिन लखनऊ वाले मामले में लोगों के सामने जो तस्वीर आई वह बेहद ही दहशत वाले हैं। जब प्रदेश में योगी की सरकार बनी थी, तब सीएम योगी से लेकर डिप्टी सीएम और मंत्री तक ने बयान दिया था कि अपराधी यूपी छोड़ दे नहीं तो ठोक देंगे। इस बयान का मतलब ही यही था कि योगी के पास और कोई दूसरा आइडिया नहीं है यूपी को अपराधमुक्त   करने का , जबकि इसे अंतिम हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया सकता था। ये हो सकता था कि पहले अपराधियों के रिकॉर्ड खोले जाते और धरपकड़ के साथ-साथ ये सुनिश्चित किया जाता कि पुलिस की शाह पर...

एशिया कप: भारत जीत का हौसला, पाक जज्बात, अफगान और बांग्लादेश जज्बा लेकर पहुंचा था

भारत ने एक बेहद ही रोमांचक   मैच में बांग्लादेश को   3  विकेट से हरा कर एशिया कप अपने नाम कर लिया। इस टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले   क्रिकेट पंडित पाकिस्तान पर दांव लगा रहे थें   लेकिन एशिया कप में पाकिस्तान के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि एक दिन अच्छा होने या अच्छा क्रिकेट खेलने से आप हर बार कप नहीं उठा सकते। पूरे एशिया कप में देखें तो पाकिस्तान की टीम हांगकांग को छोड़कर किसी भी देश के सामने अपने आपको सहज महसूस नहीं कर पाई।  हांगकांग के खिलाफ पहले ही मैच में भले ही उन्हें जीत मिली हो लेकिन उनके कप्तान सरफराज अहमद और पूरी टीम की शारीरिक भाषा को गौर से देखने से साफ पता चल रहा था कि दबे-दबे से ,  चिढ़े-चिढ़े से   ,  आत्मविश्वास लाने की    लड़ाई करते ,  उत्साह की भी कमी के साथ साथ बिखरी-बिखरी सी नजर आई। पाकिस्तान की टीम को देखने से लग रहा था कि ये टीम अभी भी चैंपियंस ट्रॉफी की जीत से बाहर नहीं निकल पाई थी और जीत का जज्बा लेकर नहीं जज्बात लेकर एशिया कप खेलने पहुंची थी।   ये सभी को पता है   कोई भी मैच जज्...

तनुश्री दत्ता-नाना पाटेकर के मामले में सर्मथन और विरोध के आधार पर कैसे होगा इंसाफ?

कुछ दिन पहले Metoo अभियान चला था जिस में महिलाओं से लेकर पुरुषों तक ने अपने साथ हुए उत्पीड़न की बात कही। लेकिन ऐसा क्यों प्रतीत होता है कि इस तरह का आयोजन बस दिखाने के लिए होता है कि उनके साथ गलत हुआ पर उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाती। ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि कंगना रणावत के बाद अब तनुश्री दत्ता का मामला जोड़ पकड़ता जा रह है लेकिन अभी तक किसी महिला और पुरुष ने इस कैंपेन को रिलॉन्च नहीं किया है। हां ! दबी आवाज़ में भले ही कुछ लोगों का समर्थन तनुश्री दत्ता को मिल रहा है। तनुश्री दत्ता वाले मामले में एक बात और भी साफ दिख रही है कि अगर यहीं काम किसी गैर बॉलीवुड या हाई प्रोपाइल लोगों के द्वारा न होकर किसी आम जगह, आम लोग द्वारा किया गया होता तो हंगामा जमकर होता। वें भी तनुश्री के प क्ष में बोलते दिखते कि महिलाएं सुरक्षित नहीं है, जो आज चुप हैं। Metoo तरह के कैंपेन बड़े लोगों या स्टार के खिलाफ नहीं चलाई जा सकती क्योंकि ये भी महिला सुरक्षा, सेक्सुअल हैरेसमेंट से जुड़ा है। जिस किसी के साथ भी किसी आम या खास किसी के द्वारा भी इस तरह कह हरकत की जाती है तो जरूर उसके खिलाफ आवाज...

ज़िन्दगी, न उदास है न कोई उल्लास है

ज़िन्दगी , न उदास है न कोई उल्लास है न कोई बात है न बेजुबान है न किसी से प्यार है न इंकार है न किसी की चाहत है न ही आहट है न कुछ आस है ना निराश है न किसी का साथ है , न कोई पास है ज़िन्दगी , न उदास है न कोई उल्लास है न कोई दूर है न कोई नजदीक है न कुछ खोया है न कुछ पाया है न रोया है न हंसा है   ज़िन्दगी न पहेली है न अकेली है फिर न जाने क्यों इतनी बेचैनी है ज़िन्दगी , न उदास है न कोई उल्लास है .

देश और लोगों को ऐसे जोड़ता है क्रिकेट

खेल के मैदान पर हमेशा एक टीम जीतती है , एक टीम हारती है , ड्रा भी होती है और कोई दिल भी जीतता है। जब किसी टीम के जीतने-हारने पर आप कई खिलाडियों के रोते हुए देखते होंगे तो कई बार उस खुलाड़ी को उसी टीम के खिलाड़ी हिम्मत दे रहे होते हैं तो वहीं कुछ खिलाड़ियों को दूसरी टीम के खिलाड़ी. कई बार आप दूसरे विरोधी टीम के खिलाड़ियों के साथ इस तरह पेश आते हैं जब दिल करता है ऐसा दृश्य बार बार सामने आए क्योंकि ऐसी तस्वीर लोगों के दिलों को जीतती ही नहीं बल्कि न जाने कितने लोगों को अपने आप को समझने का मौका देती है। अब एशिया कप को ही ले लीजिए जब आफगान के गेंदबाज आफताब आलम की लगातार गेंदों पर चौका और छक्का मारकर शोएब मलिक ने पाकिस्तान की टीम को मैच जिताया तो आफताब आलम फूट-फूटकर रोने लगे , उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं , अफाताब आलम को अपने आप पर पूरा विश्वास रहा होगा कि वो ये मैच निकाल सकते हैं , दूसरा पूरा देश उनसे उम्मीद लगा रहा था कि वो टीम को जीत दिलाए ऐसे में स्वाभाविक है कि खिलाड़ी रोने लगे लेकिन इसके बाद जब शोएब मलिक ने जाकर उनके गले लगा कर चुपा कराया वो दृश्य देखेन लायक था। इससे पहले...

क्या फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद को विश्वास में नहीं ले पाए पीएम मोदी?

देश में मोदी सरकार को सत्ता में आए लगभग चार साल 4 महीने हो चुके है , कुछ महीनों के बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं , जिसकी तैयारियां भी सभी पार्टियों ने अपने स्तर पर पर शुरू कर दी है। लेकिन उससे ठीक पहले बीजेपी राफेल डील को लेकर चौतरफा घिर गई है। दरअसल राफेल डील पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद से भारत में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। इस मसले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी और अनिल अंबानी पर तीखा हमला बोला है. जिसके बाद बीजेपी ने भी पलवार करते हुए कहा है कांग्रेस घोटलों की जननी है। ये आरोप-प्रत्यारोप बहुत दिनों तक जारी रहने वाली है लेकिन इन सब बातों को छोड़ भी दिया जाए तो एक बड़ा सवाल ये उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार विदेश दौरों खासकर उन देशों में जहां आज तक कोई प्रधानमंत्री नहीं पहुंचा , उससे देश को और पीएम मोदी के इमेज को क्या लाभ मिला ? क्या पीएम मोदी के मित्रतापूर्ण व्यावहार से अन्य देशों के भारत से संबंध सुधरे या फिर पीएम मोदी 2014 से बिना किसी मकसद के ही जुलाई 2018 तक 54 देशों की यात्रा की कर चुके हैं जिस पर ...

अफगानिस्तान में क्रिकेट के मैदान से खुशियों का आगाज़

हालिया कुछ महीनों में अफगानिस्तान ने क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है और कुछ बड़ी टीमों के खिलाफ मैच जीते हैं। एशिया कप में भी शानदार प्रदर्शन जारी है। लेकिन फगानिस्तान का जीरो से यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था। देश में लगातार अस्थिरता का माहौल है ऐसे में एक टीम का बनतकर सामने आना क्रिकेट दुनिया के लिए ही नहीं बल्कि खुद आफगानिस्तान के लिए अच्छा है। आफगानिस्तान में पिछले कुछ सालों से युद्ध जैसे हालात है , जिस कारण आए दिन बम विस्फोट होते रहते हैं और लोगों की मौत होती रहती है लेकिन इन सब मुश्किल हालातों से निकल वहां एक से एक अच्छे खिलाड़ी दुनिया के कई लीगों में खेल रहे हैं और नाम कमा रहे हैं। जिस कारण उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों के लिए इन खिलाड़ियों ने एक ऐसा कारण दिया है हंसने , खुश होने का और गर्व करने का जो उनके दुख और तकलीफों पर मरहम का काम करेगा। एशिया कप के दौरान भी आपने देखा होगा कि किस तरह अफगानिस्तान के दर्शक चौका लगने या विकेट गिरने पर जिस तरह बालों का डांस करते हैं , मन लुभाने के लिए काफी है। ऐसा नहीं है कि उनके पास और भी कारण नहीं होंगे हंसने , ...

एशिया कप में क्यों संघर्ष करती दिखी श्रीलंका?

6 टीमों से शुरू हुई एशिया कप से श्रीलंका और हांगकांग बाहर हो चुकी है और अब 4 टीमों के बीच फाइनल को जीतने के लिए संघर्ष जारी है । लीग में ही बाहर होने वाली हांगकांग की टीम ने जहां पहले मैच में पाकिस्तान से बुरी तरह हार गई वहीं दूसरे मैच में भारत के खिलाफ एक समय तो जीत की तरफ जाती दिख रही थी पर कम अनुभव की वजह से मैच हार गई। हालांकि हागंकांग पहली बार इस टूर्नामेंट में खेल रही थी ,  उस हिसाब से उनके प्रदर्शन को अच्छा कहा जाएगा। लेकिन जिस तरह से श्रीलंका को पहले मैच में बंग्लादेश और दूसरे मैच में अफगानिस्तान से करारी हार का सामना करना पड़ा ,  उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। ये हार श्रीलंका के लिए काफी चिंता का विषय है क्योंकि जब से कुमार संगकारा ,  महेला जयवर्धने ,  तिलकरत्ने दिलशान ,  चमिंडा वास और मुथैया मुरलीधरन ने संन्यास लिया है तबसे टीम लगातार कमजोर हो रही है। जिसका असर सीधे उनके प्रदर्शन पर रही है। और नए खिलाड़ियों से सजी ये टीम अपने आप को सेट नहीं कर पा रही है। फिलहाल श्रीलंका की टीम में मुश्किल से 2 से 3 खिलाड़ी भरोसेमंद है बाकियों को बहुत...